Shiv Tandav Stotram - Shankar Mahadevan.lrc

LRC歌词下载
[00:32.230]जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले
[00:35.412]गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम् ।
[00:38.575]डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं
[00:41.781]चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ॥१॥
[00:51.408]जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी_
[00:54.588]विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि ।
[00:57.761]धगद्धगद्धगज्जलल्ललाटपट्टपावके
[01:00.979]किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ॥२॥
[01:17.052]धराधरेन्द्रनन्दिनीविलासबन्धुबन्धुर
[01:20.151]स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे ।
[01:23.388]कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि
[01:26.588]क्वचिद्दिगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥
[01:36.213]जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा
[01:39.368]कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे ।
[01:42.582]मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे
[01:45.753]मनो विनोदमद्‍भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥४॥
[01:55.768]ॐ नमः शिवाय
[02:08.450]शत शिव नमस्तुभ्यं
[02:16.012]ॐ नमः शिवाय
[02:28.592]सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर_
[02:31.900]प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः ।
[02:35.259]भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटकः
[02:38.580]श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ॥५॥
[02:45.449]ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा_
[02:48.661]निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम् ।
[02:51.981]सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं
[02:55.312]महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः ॥६॥
[03:05.596]करालभालपट्टिकाधगद्‍धगद्‍धगज्ज्वलद्_
[03:08.673]धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके ।
[03:12.078]धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक
[03:15.443]प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम ॥७॥
[03:20.764]नवीनमेघमण्डली निरुद्‍धदुर्धरस्फुरत्_
[03:23.750]कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः ।
[03:27.074]निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः
[03:30.495]कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः ॥८॥
[03:47.612]प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा_
[03:53.846]वलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम् ।
[04:00.474]स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं
[04:07.142]गजच्छिदान्धकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे ॥९॥
[04:15.810]अखर्वसर्वमङ्गलाकलाकदम्बमञ्जरी_
[04:22.260]रसप्रवाहमाधुरीविजृम्भणामधुव्रतम् ।
[04:29.005]स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं
[04:35.796]गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे ॥१०॥
[04:55.954]जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्‍भुजङ्गमश्वसद्_
[04:59.224]विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट् ।
[05:02.604]धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल_
[05:05.926]ध्वनिक्रमप्रवर्तितप्रचण्डताण्डवः शिवः ॥११॥
[05:12.754]दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्_
[05:15.968]गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।
[05:19.338]तृणारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
[05:22.628]समप्रवृत्तिकः कदा सदाशिवं भजाम्यहम् ॥१२॥
[05:42.268]कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्
[05:45.360]विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमञ्जलिं वहन् ।
[05:48.545]विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः
[05:51.750]शिवेति मन्त्रमुच्चरन्कदा सुखी भवाम्यहम् ॥१३॥
[06:07.809]इमं हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं
[06:10.917]पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम् ।
[06:14.129]हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं
[06:17.383]विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिन्तनम् ॥१४॥
[06:27.536]ॐ नमः शिवाय
文本歌词
जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम् ।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं
चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ॥१॥
जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी_
विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि ।
धगद्धगद्धगज्जलल्ललाटपट्टपावके
किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ॥२॥
धराधरेन्द्रनन्दिनीविलासबन्धुबन्धुर
स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे ।
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि
क्वचिद्दिगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥
जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा
कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे ।
मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदमद्‍भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥४॥
ॐ नमः शिवाय
शत शिव नमस्तुभ्यं
ॐ नमः शिवाय
सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर_
प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः ।
भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटकः
श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ॥५॥
ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा_
निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम् ।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं
महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः ॥६॥
करालभालपट्टिकाधगद्‍धगद्‍धगज्ज्वलद्_
धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके ।
धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम ॥७॥
नवीनमेघमण्डली निरुद्‍धदुर्धरस्फुरत्_
कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः ।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः
कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः ॥८॥
प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा_
वलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम् ।
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदान्धकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे ॥९॥
अखर्वसर्वमङ्गलाकलाकदम्बमञ्जरी_
रसप्रवाहमाधुरीविजृम्भणामधुव्रतम् ।
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं
गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे ॥१०॥
जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्‍भुजङ्गमश्वसद्_
विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट् ।
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल_
ध्वनिक्रमप्रवर्तितप्रचण्डताण्डवः शिवः ॥११॥
दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्_
गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।
तृणारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समप्रवृत्तिकः कदा सदाशिवं भजाम्यहम् ॥१२॥
कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमञ्जलिं वहन् ।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः
शिवेति मन्त्रमुच्चरन्कदा सुखी भवाम्यहम् ॥१३॥
इमं हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं
पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम् ।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं
विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिन्तनम् ॥१४॥
ॐ नमः शिवाय